जानिये मोदी ने क्‍यों कहा, ‘हमारी थालियों से गायब खाने का महत्‍व बाकी दुनिया ने समझा’

जानिये मोदी ने क्‍यों कहा, ‘हमारी थालियों से गायब खाने का महत्‍व बाकी दुनिया ने समझा’

सेहतराग टीम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश-विदेश के योग साधकों को पुरस्‍कृत करने के अवसर का इस्‍तेमाल प्राचीन च‍िकित्‍सा पद्धति और पुराने खान-पान को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए किया। उन्‍होंने खासकर कहा कि हम अपने परंपरागत भोजन से हट गए जबकि बाकी दुनिया ने उस भोजन के महत्‍व को समझ कर उसे अपनी थालियों में जगह दी।  

उन्होंने कहा, ‘आज हम देखते हैं कि जिस भोजन को हमने छोड़ दिया, उसको दुनिया ने अपनाना शुरू कर दिया। जौ, ज्वार, रागी, कोदो, सामा, बाजरा, सावां, ऐसे अनेक अनाज कभी हमारे खान-पान का हिस्सा हुआ करते थे। लेकिन ये हमारी थालियों से गायब हो गए। अब इस पोषक आहार की पूरी दुनिया में मांग है।’ उन्‍होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि हम अपने प्राचीन ज्ञान को आधुनिक के साथ समन्वित करें।

मोदी ने कहा कि देश में गंभीर बीमारियों के ईलाज पर हजारों साल पुराना साहित्य उपलब्‍ध है लेकिन देश के इस पुराने ज्ञान को आधुनिक चि‍कित्‍सा शास्‍त्र के साथ सफलतापूर्वक जोड़ने में बहुत कम सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव लाना है तो इसके लिये समग्र रुख अपनाना होगा जिसके तहत पारंपरिक और आधुनिक औषधियों की संयुक्त क्षमता को मजबूत बनाना होगा।

मोदी ने नई दिल्‍ली में योग पुरस्कार समारोह के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आयुष मंत्रालय के जरिये बीते पांच सालों से इस स्थिति को बदलने का काम जारी है जिसमें प्राचीन शोधों को प्रयोगशालाओं में मान्यता दी जा रही है और इस तरह पेश किया जा रहा है ताकि आज का चिकित्सा विज्ञान भी उन्हें समझ सके।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर देश में स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव लाना है तो इसके लिए समग्र रुख अपनाना होगा जिसके तहत पारंपरिक और आधुनिक औषधियों की संयुक्त क्षमता को मजबूती देनी होगी।

मोदी ने कहा, ‘हमारे पास हज़ारों वर्ष पुराना साहित्य है, वेदों में गंभीर बीमारियों से जुड़े इलाज की चर्चा है। लेकिन दुर्भाग्य से हम अपने प्राचीन अनुसंधान को आधुनिकता से जोड़ने में बहुत ज्यादा सफल नहीं हो पाए। इसी स्थिति को बीते पांच वर्षों में हमने लगातार बदलने का प्रयास किया है। हमने प्रयोगशालाओं में इनके प्रमाणीकरण के जरिये इनका वैज्ञानिक आधार तैयार किया। हमने इसे इस तरह पेश किया कि चिकित्सा विज्ञान भी इसे समझ सके।’

प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में आधारभूत ढांचे के विकास पर तेजी से काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि आधुनिक चिकित्सा ही नहीं, आयुष की शिक्षा में भी अधिक तथा बेहतर पेशेवर आएं, इसके लिए आवश्यक सुधार किए जा रहे हैं। मोदी ने कहा, ‘जब हम देश में 1.5 लाख स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र खोल रहे हैं, तो आयुष को भूले नहीं हैं। देशभर में साढ़े बारह हजार आयुष सेंटर बनाने का भी लक्ष्य है, जिनमें से आज 10 आयुष स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र का हरियाणा में उद्घाटन हुआ है। हमारी कोशिश है कि ऐसे चार हजार आयुष केंद्र इसी वर्ष तैयार हो जाएं।’

ये 10 आयुष सेंटर हरियाणा के पंचकूला, अंबाला, कैथल, करनाल, जींद, हिसार, सोनीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद और नूहं में खोले गए हैं। आयुष मंत्रालय के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि आयुष ग्रिड का विचार प्रशंसनीय है और इससे आयुष सेक्टर के सीमित दायरे को व्यापक करने में मदद मिलेगी।

मोदी ने कहा कि आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी के बाद 'सोवा - रिग्पा' आयुष परिवार का छठा सदस्य हो गया है। उन्होंने कहा कि इस पहल के लिए वह संबंधित मंत्री और उनके विभाग को बधाई देते हैं। 

उन्होंने बताया कि सोवा-रिग्पा को बढ़ावा देने के लिये लद्दाख में एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनाया जा रहा है। गौरतलब है कि सोवा रिग्पा परंपरागत बौद्ध चिकित्सा पद्धति है। 

उन्होंने कहा कि ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत जितने मरीजों को अब तक मुफ्त इलाज मिला है, वे अगर इसके दायरे में न होते तो उन्हें 12 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक रकम खर्च करनी पड़ती। एक प्रकार से देश के लाखों गरीब परिवारों के 12 हज़ार करोड़ रुपये की बचत हुई है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार के कार्यों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में आधारभूत ढांचे के विकास पर तेजी से काम चल रहा है। दो दिन पहले ही सरकार ने 75 नए मेडिकल कॉलेज बनाने का भी फैसला लिया है। इससे गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सुविधाओं में बढ़ोतरी तो होगी ही, साथ ही एमबीबीएस की करीब 16 हज़ार सीटें बढ़ेंगी।’ 

उन्होंने कहा ‘आज मुझे योग के साधकों, योग की सेवा करने वालों और दुनियाभर में योग का प्रचार-प्रसार करने वाले साथियों तथा संगठनों को पुरस्कार देने का मौका मिला है। इनमें देश के साथ ही इटली और जापान जैसे देशों के लोग और संगठन भी शामिल हैं। पुरस्कार पाने वाले साथियों को बधाई।’

मोदी ने कहा, ‘आज आयुष पद्धति को समृद्ध करने वाली 12 हस्तियों के सम्मान में डाक टिकट जारी हुए हैं। हमारे देश में परंपरा थी कि बड़े-बड़े नाम हों या जो नेता हों, उन्हीं पर डाक टिकट बनते थे। अब आयुर्वेद के लिए खप जाने वालों पर भी डाक टिकट बन सकते हैं। हिन्दुस्तान में यही तो बदलाव हुआ है।’

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